22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को स्तब्ध कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा किए गए इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। हमले के बाद भारतीय वायुसेना की विशेष इकाई, गरुड़ कमांडो फोर्स, ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। ये कमांडो अपनी बहादुरी, विशेष प्रशिक्षण और जोखिम भरे मिशनों में महारत के लिए जाने जाते हैं। यह लेख गरुड़ कमांडो की उत्पत्ति, भर्ती प्रक्रिया, कठिन ट्रेनिंग, और उनकी सैलरी के बारे में विस्तार से बताएगा।
गरुड़ कमांडो फोर्स: जानकारी
गरुड़ कमांडो फोर्स की स्थापना सितंबर 2004 में भारतीय वायुसेना (IAF) द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य वायुसेना की संपत्तियों, जैसे हवाई अड्डों, रडार स्टेशनों, और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा करना था, खासकर उस समय जब कश्मीर घाटी में आतंकी हमले बढ़ रहे थे। गरुड़ कमांडो न केवल आतंकवाद विरोधी अभियानों में माहिर हैं, बल्कि बचाव, खुफिया संग्रह, और प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

गरुड़ कमांडो की प्रमुख भूमिकाएँ:
- आतंकवाद विरोधी मिशन: आतंकियों को neutral करना और बंधक बचाव।
- वायुसेना की सुरक्षा: महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमलों को रोकना।
- खोज और बचाव: युद्ध क्षेत्रों या आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को बचाना।
- विशेष अभियान: जंगल, पहाड़, और शहरी क्षेत्रों में गुप्त मिशन।
- संयुक्त अभियान: सेना, नौसेना, और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय।
पहलगाम हमले के बाद, गरुड़ कमांडो को आतंकियों को ट्रैक करने, क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने, और स्थानीय पुलिस व सेना के साथ मिलकर अभियान चलाने के लिए तैनात किया गया है।
गरुड़ कमांडो की भर्ती प्रक्रिया
गरुड़ कमांडो बनने का रास्ता बेहद चुनौतीपूर्ण है। यह प्रक्रिया दो स्तरों पर होती है: गैर-कमीशंड (Airmen) और कमीशंड ऑफिसर।
1. गैर-कमीशंड पदों (Airmen) के लिए:
- प्रारंभिक चयन: उम्मीदवारों को भारतीय वायुसेना की सामान्य भर्ती प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसमें लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा (Physical Fitness Test), और साक्षात्कार शामिल हैं।
- विशेष चयन: गरुड़ कमांडो के लिए चयनित होने के लिए उम्मीदवारों को अतिरिक्त कठिन शारीरिक और मनोवैज्ञानिक टेस्ट पास करने होते हैं। इनमें लंबी दूरी की दौड़, भारी वजन के साथ मार्च, और तनावपूर्ण परिस्थितियों में प्रदर्शन शामिल है।
- एक मौका: असफल होने पर दोबारा अवसर नहीं मिलता, जिससे यह प्रक्रिया और भी कठिन हो जाती है।
- आयु सीमा: आमतौर पर 17.5 से 23 वर्ष।
- शैक्षिक योग्यता: 10+2 (विज्ञान स्ट्रीम में) या समकक्ष।
2. कमीशंड ऑफिसर के लिए:
- AFCAT परीक्षा: उम्मीदवारों को Air Force Common Admission Test (AFCAT) पास करना होता है।
- SSB साक्षात्कार: इसके बाद Services Selection Board (SSB) में 5-दिवसीय साक्षात्कार और मनोवैज्ञानिक टेस्ट होते हैं, जो नेतृत्व क्षमता, रणनीतिक सोच, और मानसिक दृढ़ता का आकलन करते हैं।
- प्रशिक्षण: चयनित उम्मीदवारों को हैदराबाद की एयरफोर्स अकादमी में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके बाद विशेष गरुड़ कमांडो प्रशिक्षण शुरू होता है।
चयन की कठिनाई:
- चयन दर बहुत कम है, केवल 10-15% उम्मीदवार ही अंतिम प्रशिक्षण तक पहुँच पाते हैं।
- उम्मीदवारों को शारीरिक फिटनेस, मानसिक दृढ़ता, और जोखिम उठाने की क्षमता में असाधारण होना पड़ता है।
गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग: एक कठिन यात्रा

गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग भारत में सबसे कठिन सैन्य प्रशिक्षणों में से एक है, जो लगभग 72 सप्ताह (1.5 वर्ष) तक चलती है। यह ट्रेनिंग उम्मीदवारों को शारीरिक, मानसिक, और तकनीकी रूप से हर तरह की चुनौती के लिए तैयार करती है।
ट्रेनिंग के प्रमुख चरण:
- बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग (12 सप्ताह):
- बुनियादी सैन्य कौशल, जैसे हथियार संचालन, मार्चिंग, और अनुशासन।
- शारीरिक फिटनेस पर जोर: लंबी दूरी की दौड़, रस्सी चढ़ाई, और भारी वजन के साथ मार्च।
- विशेष बल प्रशिक्षण (52 सप्ताह):
- जंगल युद्ध: मिजोरम और असम के घने जंगलों में गुप्त अभियानों की ट्रेनिंग।
- पहाड़ी युद्ध: हिमालय में कम ऑक्सीजन और ठंड में ऑपरेशन।
- शहरी युद्ध: घनी आबादी में आतंकियों से निपटने की रणनीति।
- पैराशूट प्रशिक्षण: आगरा में हवाई मिशनों के लिए स्काई डाइविंग।
- गोता प्रशिक्षण: समुद्री अभियानों के लिए स्कूबा डाइविंग।
- विस्फोटक प्रशिक्षण: बम निष्क्रिय करना और IEDs से निपटना।
- हथियार प्रशिक्षण: एके-47, इंसास, स्नाइपर राइफल्स, और नाइट विजन डिवाइस का उपयोग।
- मनोवैज्ञानिक और मानसिक प्रशिक्षण:
- तनावपूर्ण परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता।
- नींद की कमी, भूख, और थकान के बीच मिशन पूरा करना।
- नेतृत्व, टीमवर्क, और संकट प्रबंधन पर फोकस।
- अंतिम सिमुलेशन:
- ट्रेनिंग के अंत में एक जटिल मिशन सिमुलेशन, जिसमें सभी कौशलों का परीक्षण होता है।
- सफल उम्मीदवारों को गरुड़ बैज प्रदान किया जाता है।
ट्रेनिंग की कठिनाई:
- ड्रॉपआउट दर: 70-80% उम्मीदवार ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाते।
- शारीरिक मांग: 20 किलो वजन के साथ 20 किमी मार्च, 50 मीटर रस्सी चढ़ाई, और 10 मिनट में 5 किमी दौड़।
- मानसिक दबाव: उम्मीदवारों को लगातार तनाव में रखा जाता है ताकि वे युद्ध के वास्तविक परिदृश्यों के लिए तैयार हों।
गरुड़ कमांडो की सैलरी
गरुड़ कमांडो की सैलरी उनके रैंक, अनुभव, और जोखिम भरे कार्यों के आधार पर निर्धारित होती है। भारतीय वायुसेना के विशेष बल होने के नाते, उन्हें अतिरिक्त भत्ते भी मिलते हैं।
- प्रारंभिक सैलरी: लगभग 70,000 रुपये प्रति माह (जूनियर रैंक जैसे एयरमैन के लिए)।
- अधिकतम सैलरी: 2,50,000 रुपये प्रति माह तक (वरिष्ठ कमीशंड ऑफिसरों के लिए)।
- अतिरिक्त भत्ते:
- ड्यूटी अलाउंस: जोखिम भरे मिशनों के लिए।
- हाई रिस्क अलाउंस: आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए।
- स्पेशल ऑपरेशन इंसेंटिव: विशेष मिशनों के लिए बोनस।
- अन्य सुविधाएँ: मुफ्त आवास, चिकित्सा सुविधा, और पेंशन योजनाएँ।
सैलरी और भत्ते समय-समय पर संशोधित होते हैं, और यह सातवें वेतन आयोग के अनुसार निर्धारित होती है।
पहलगाम हमले में गरुड़ कमांडो की भूमिका
पहलगाम हमले के बाद, गरुड़ कमांडो को तुरंत क्षेत्र में तैनात किया गया। उनकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ हैं:
- आतंकी ट्रैकिंग: खुफिया जानकारी के आधार पर हमलावरों और उनके समर्थकों को खोजने के लिए जंगल और पहाड़ी क्षेत्रों में अभियान।
- सुरक्षा व्यवस्था: पर्यटक क्षेत्रों और वायुसेना के ठिकानों पर सुरक्षा बढ़ाना।
- संयुक्त अभियान: जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना, और खुफिया एजेंसियों (RAW, IB) के साथ समन्वय।
- बचाव कार्य: घायलों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना और स्थानीय लोगों को सहायता।
उनकी विशेष ट्रेनिंग और उन्नत उपकरण, जैसे नाइट विजन डिवाइस और ड्रोन, उन्हें पहलगाम जैसे जटिल भूभाग में प्रभावी बनाते हैं।
गरुड़ कमांडो के उल्लेखनीय मिशन
- 2016 पठानकोट हमला: वायुसेना स्टेशन पर आतंकी हमले को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका।
- 2017 अमरनाथ यात्रा हमला: तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की।
- जम्मू-कश्मीर में अभियान: कई आतंकियों को मार गिराया और बंधकों को बचाया।
निष्कर्ष
पहलगाम हमले ने एक बार फिर गरुड़ कमांडो की बहादुरी और समर्पण को सामने लाया है। उनकी कठिन ट्रेनिंग, जोखिम भरी जिंदगी, और देश के प्रति निष्ठा उन्हें भारत के सबसे सम्मानित सैन्य बलों में से एक बनाती है। चाहे आतंकवाद हो या प्राकृतिक आपदा, गरुड़ कमांडो हर मोर्चे पर देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं। उनकी सैलरी और भत्ते उनके बलिदान का केवल एक छोटा हिस्सा हैं, जबकि उनकी असली कमाई देशवासियों का विश्वास और सम्मान है।
पहलगाम में उनकी तैनाती न केवल आतंकियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। गरुड़ कमांडो की कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है, जो साहस, अनुशासन, और देशभक्ति का प्रतीक है।
रिपोर्ट :सुरेंद्र कुमार
