मुंबई, 20 अप्रैल 2025: मुंबई के विले पार्ले (ईस्ट) में 16 अप्रैल को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को ध्वस्त किए जाने की घटना ने देशभर में हलचल मचा दी है। जैन समुदाय ने इसे धार्मिक भावनाओं पर हमला करार देते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। इस कार्रवाई को लेकर बीएमसी और सरकार पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?

विले पार्ले के कांबलीवाड़ी में नेमिनाथ कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में स्थित यह मंदिर, जिसे 90 साल पुराना बताया जा रहा है, बीएमसी ने अवैध निर्माण का हवाला देकर 16 अप्रैल 2025 को बुलडोजर से ढहा दिया। बीएमसी का दावा है कि मंदिर का हिस्सा मनोरंजन पार्क के लिए आरक्षित जमीन पर बना था और 2015, 2020, और 2024 में नोटिस जारी किए गए थे।
हालांकि, मंदिर ट्रस्ट और जैन समुदाय का कहना है कि मामला सिटी कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित था। 8 अप्रैल को सिटी कोर्ट ने ट्रस्ट की याचिका खारिज की थी, लेकिन हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी, और ट्रस्ट का दावा है कि कोर्ट ने मौखिक स्थगन आदेश दिया था। इसके बावजूद, बीएमसी ने जल्दबाजी में कार्रवाई की, जिसे समुदाय ने असंवेदनशील और एकतरफा बताया।
जैन समाज का गुस्सा: सड़कों पर प्रदर्शन
19 अप्रैल को जैन समुदाय ने विले पार्ले से अंधेरी तक अहिंसक विरोध मार्च निकाला, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। रैली में ‘मंदिर टूटा है, हौसला नहीं’ जैसे नारे लगाए गए। महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, विधायक पराग अलवानी, और जैन संत भी प्रदर्शन में शामिल हुए। समुदाय ने मंदिर के पुनर्निर्माण, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई, और बीएमसी से सार्वजनिक माफी की मांग की है।
प्रदर्शन के दौरान, जैन बंधुओं ने ध्वस्त मंदिर में आरती की और मूर्तियों को चबूतरे पर रखकर पूजा की। ट्रस्टी अनिल शाह ने कहा, “बीएमसी ने कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया। हमारी आस्था का अपमान हुआ है।”
बीएमसी की कार्रवाई और विवाद
बीएमसी ने दावा किया कि मंदिर को तोड़ने से पहले पर्याप्त नोटिस दिए गए थे, लेकिन जैन समुदाय का आरोप है कि कार्रवाई के दौरान धार्मिक पुस्तकों और पूजन सामग्री को सड़कों पर फेंक दिया गया, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुईं। स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि एक रेस्तरां मालिक के दबाव में मंदिर को निशाना बनाया गया।
विवाद के बाद, बीएमसी ने 19 अप्रैल को के-ईस्ट वार्ड के सहायक आयुक्त नवनाथ घाडगे को स्थानांतरित कर दिया। कुछ रिपोर्ट्स में इसे निलंबन बताया गया, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। बीएमसी ने ध्वस्त स्थल पर प्रार्थना की अनुमति दी, और मलबा हटाकर पूजा-पाठ शुरू हो चुका है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाई हैं:
- अखिलेश यादव (सपा): समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने बीजेपी सरकार पर जैन समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जैन समाज की आस्था का अपमान हुआ। बीजेपी को सहिष्णुता से क्या बैर है?”
- वर्षा गायकवाड़ (कांग्रेस): कांग्रेस सांसद ने कार्रवाई को साजिश करार देते हुए कहा, “पूजा स्थलों की रक्षा सरकार का दायित्व है। यह शांतिप्रिय जैन समुदाय के खिलाफ योजनाबद्ध कदम है।”
- आदित्य ठाकरे (शिवसेना): उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, “सीएम, सरकार, और बीएमसी सब बीजेपी के, फिर यह नौटंकी क्यों?”
- सपा नेता अबू आजमी: आजमी ने बीएमसी की कार्रवाई को धार्मिक सहिष्णुता पर चोट बताया और आरोप लगाया कि अधिकारी पैसे लेकर कार्रवाई छोड़ देते हैं। उन्होंने धार्मिक स्थलों की वैधता जांचने के लिए विशेष समिति की मांग की।
जैन समुदाय की मांगें
- उसी स्थान पर मंदिर का पुनर्निर्माण।
- कार्रवाई में शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
- धार्मिक स्थलों की वैधता जांचने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया और समुदाय की सहभागिता।
- बीएमसी से सार्वजनिक माफी।
आगे क्या?
जैन समुदाय ने इस मामले को दोबारा कोर्ट में ले जाने की योजना बनाई है। विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों ने भी समर्थन का ऐलान किया है। मध्य प्रदेश बीजेपी नेता दीपक जैन ने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
यह विवाद धार्मिक स्थलों पर प्रशासनिक कार्रवाइयों में संवेदनशीलता और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। जैन समुदाय का कहना है कि जब तक मंदिर का पुनर्निर्माण नहीं होता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
रिपोर्ट : सुरेंद्र कुमार
