दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अखिलेश यादव से मांगी माफी, विवादित बयान पर जताया खेद

नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ अपने विवादित बयान को लेकर माफी मांग ली है। एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू के दौरान रेखा गुप्ता ने अखिलेश यादव को “टोटी चोर” कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली में सियासी बवाल मच गया था। सपा कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ कई जगहों पर प्रदर्शन किए और माफी की मांग की।

रेखा गुप्ता ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, “मेरे हाल के बयान से यदि किसी बड़े नेता को कोई तकलीफ हुई है, तो मैं इसके लिए क्षमा मांगती हूं। मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। मैं सभी से बेह personally respectful dialogue की अपील करती हूं।” हालांकि, उन्होंने अपने बयान में अखिलेश यादव का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया।

विवाद की शुरुआत और सपा का विरोध यह विवाद तब शुरू हुआ जब रेखा गुप्ता ने एक टीवी इंटरव्यू में अखिलेश यादव के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद सपा की महिला विंग और अन्य कार्यकर्ताओं ने लखनऊ, वाराणसी, अलीगढ़, और फरीदपुर सहित कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए। लखनऊ के हजरतगंज में सपा की महिला सभा ने गांधी प्रतिमा पर काली पट्टियां बांधकर प्रदर्शन किया, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह ने रेखा गुप्ता से माफी या इस्तीफे की मांग की थी। प्रदर्शन के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं पर ट्रैफिक बाधित करने और राजभवन का सुरक्षा घेरा तोड़ने का आरोप लगा, जिसके बाद उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की गई।

सपा की ओर से कानूनी कार्रवाई भी शुरू की गई थी। समाजवादी अधिवक्ता सभा ने रेखा गुप्ता को कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उनके बयान को मानहानिकारक और असंवैधानिक करार दिया गया। सपा कार्यकर्ताओं ने इसे न केवल अखिलेश यादव, बल्कि पिछड़े, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों का अपमान बताया।

अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया अखिलेश यादव ने इस विवाद पर अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेखा गुप्ता के बयान की निंदा की थी। उन्होंने वीडियो क्लिप सार्वजनिक करते हुए कहा, “एक मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जाती।” अखिलेश ने यह भी ऐलान किया कि सपा के प्रवक्ता उस निजी चैनल पर होने वाली डिबेट में हिस्सा नहीं लेंगे, जहां यह बयान दिया गया था।

सियासी हलकों में चर्चा रेखा गुप्ता की माफी के बाद सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि क्या यह विवाद अब शांत हो जाएगा। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रेखा गुप्ता का माफी मांगना एक रणनीतिक कदम हो सकता है, क्योंकि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में इस मुद्दे ने बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाने की आशंका थी। वहीं, सपा नेताओं ने इसे “आधा-अधूरा माफी” करार देते हुए कहा कि रेखा गुप्ता को स्पष्ट रूप से अखिलेश यादव का नाम लेकर माफी मांगनी चाहिए थी।

आगे की राह रेखा गुप्ता, जो हाल ही में दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं, के लिए यह विवाद एक बड़ी चुनौती रहा है। शालीमार बाग से विधायक और बीजेपी की लंबे समय से कार्यकर्ता रेखा गुप्ता ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही कई बड़े फैसले लिए हैं, जैसे दिल्ली में डार्क स्पॉट्स को रोशन करने और शेल्टर होम्स की स्थिति सुधारने की योजना। हालांकि, इस विवाद ने उनकी छवि पर सवाल उठाए हैं।

सपा की ओर से अभी तक इस माफी पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी इस मुद्दे को और तूल दे सकती है, खासकर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए।

सामाजिक संगठनों का गुस्सा सोशल मीडिया पर सक्रिय कई सामाजिक संगठनों ने रेखा गुप्ता के बयान को “असंवैधानिक” और “लोकतंत्र के लिए शर्मनाक” करार दिया। दिल्ली स्थित ‘जन अधिकार मंच’ ने X पर पोस्ट किया, “एक मुख्यमंत्री जैसे गरिमामय पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती। यह न केवल अखिलेश यादव का अपमान है, बल्कि दिल्ली की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।”

रेखा गुप्ता की माफी, लेकिन विवाद जारी रेखा गुप्ता ने अपने बयान पर खेद जताते हुए माफी मांगी और कहा, “मेरे बयान से यदि किसी बड़े नेता को तकलीफ हुई है, तो मैं क्षमा मांगती हूं।” हालांकि, सोशल मीडिया पर कई यूजर्स और संगठनों ने इसे “अधूरी माफी” करार दिया। @UP4Change नाम के एक यूजर ने लिखा, “माफी में अखिलेश यादव का नाम तक नहीं लिया। यह माफी नहीं, औपचारिकता है।”

सियासी और सामाजिक प्रभाव यह विवाद न केवल दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय बना है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी नेताओं की भाषा और जवाबदेही को लेकर बहस छिड़ गई है। विश्लेषकों का मानना है कि रेखा गुप्ता का यह बयान बीजेपी के लिए दिल्ली में नुकसानदायक हो सकता है, खासकर तब जब वह हाल ही में मुख्यमंत्री बनी हैं। वहीं, सपा इस मुद्दे को उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है।

सोशल मीडिया पर यह विवाद अभी थमने के आसार नहीं दिख रहे, और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि नेताओं को अपनी भाषा में संयम बरतना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे।

इसी तरह, उत्तर प्रदेश के ‘समाज सुधार संगठन’ ने लिखा, “रेखा गुप्ता का बयान निंदनीय है। संवैधानिक पद की मर्यादा को तार-तार करने वालों को जनता माफ न करेगी।” कई संगठनों ने मांग की कि रेखा गुप्ता न केवल माफी मांगें, बल्कि भविष्य में ऐसी भाषा से बचें।

रिपोर्ट : सुरेंद्र कुमार

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