पृथ्वीराज पब्लिक स्कूल, डोडियाना में नवीन भवन का भव्य उद्घाटन राजऋषि समताराम जी महाराज के पावन करकमलों से सम्पन्न


डॉ. अम्बेडकर जयंती पर शिक्षा, संस्कृति और संतवाणी के संगम ने रचा प्रेरणास्पद आयोजन | 15 सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, गुरुओं एवं विद्यार्थियों के सम्मान से समारोह हुआ अविस्मरणीय

डोडियाना, 14 अप्रैल 2025
पृथ्वीराज पब्लिक स्कूल, डोडियाना के नवीन शैक्षिक भवन का लोकार्पण आज राजऋषि समताराम जी महाराज के पावन करकमलों और सान्निध्य में अपार श्रद्धा, भव्यता एवं गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। यह ऐतिहासिक अवसर न केवल विद्यालय बल्कि सम्पूर्ण डोडियाना ग्राम के लिए गौरव का विषय बन गया।

शुभारंभ और स्वागत
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ। मंच संचालन कर रहे संस्कार न्यूज के प्रधान संपादक श्री विजय कुमार शर्मा ने अपने भावविभोर वाणी से पूरे वातावरण को एक आध्यात्मिक उत्सव में परिवर्तित कर दिया। मंच पर राजऋषि समताराम जी महाराज सहित अनेक संतजन, स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य अतिथि, ग्रामवासी, अभिभावकगण एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य सादर उपस्थित थे।

विद्यालय की विकास यात्रा
विद्यालय के संस्थापक-संचालक श्री विजय सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में 1997 से आरंभ हुई विद्यालय की विकास-यात्रा को साझा करते हुए कहा –

“यह नवीन भवन केवल ईंट और गारे की संरचना नहीं, बल्कि हमारे सपनों, संकल्पों और संस्कारों की साकार अभिव्यक्ति है। यहाँ हर दीवार विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की गाथा कहेगी।”

राजऋषि समताराम जी का प्रेरक उद्बोधन
मुख्य अतिथि राजऋषि समताराम जी महाराज ने अपने आध्यात्मिक एवं प्रेरणादायक प्रवचन में शिक्षा को जीवन की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा –

“जिस समाज में शिक्षा का दीपक जलता है, वहाँ अज्ञान का अंधकार स्वयं मिट जाता है। विद्यालय केवल ज्ञान का केंद्र नहीं, राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला है।”

उन्होंने शिक्षकों के योगदान की सराहना करते हुए कहा –

“गुरु वह दीप है जो स्वयं जलकर दूसरों के जीवन में उजाला करता है। शिक्षक केवल विषय नहीं पढ़ाते, वे विचार, व्यवहार और संस्कारों की नींव रखते हैं।”

डॉ. अम्बेडकर जयंती का विशेष संदर्भ
चूंकि यह दिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती का भी था, महाराज श्री ने बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा –

“डॉ. अम्बेडकर ने शिक्षा को सबसे बड़ी शक्ति कहा। उनका संदेश था – ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।’ आज हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा हर बालक तक पहुँचे और हर शिक्षक को सम्मान मिले।”

गुरुजनों का सम्मान
समारोह में विद्यालय के समर्पित और प्रेरणादायी शिक्षकों का विशेष रूप से शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मान किया गया। शिक्षकों को उनकी शिक्षा में उत्कृष्टता, अनुशासन, छात्रों के प्रति स्नेह और रचनात्मक शिक्षण शैली के लिए मंच पर आमंत्रित कर अभिनंदन किया गया। यह पल भावुकता और गर्व से परिपूर्ण था।

विद्यार्थियों का अलंकरण समारोह
वर्ष भर विभिन्न क्षेत्रों – शैक्षणिक, खेल, सांस्कृतिक, विज्ञान मॉडल, वक्तृत्व, चित्रकला एवं अनुशासन – में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को ‘गौरव सम्मान’ से नवाज़ा गया। उनकी उपलब्धियों को विद्यालय ने मंच से उद्घोषित कर, प्रमाण पत्र, मेडल और ट्रॉफियों के माध्यम से प्रोत्साहित किया। विद्यार्थियों के अभिभावकों की आँखों में गर्व और हर्ष के आँसू साफ झलक रहे थे।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ बनीं आकर्षण का केंद्र
इसके पश्चात विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा दी गई 15 विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ समारोह की शोभा बन गईं। इनमें गणेश वंदना, राजस्थानी घूमर, देशभक्ति नृत्य, कृष्ण-रुक्मिणी नाटिका, भांगड़ा, गरबा, हास्य नाटक सहित कई लोक एवं शास्त्रीय प्रस्तुतियाँ सम्मिलित थीं। हर प्रस्तुति में विद्यार्थियों की रचनात्मकता, अनुशासन और आत्मविश्वास का अद्भुत समन्वय देखने को मिला, जिसे दर्शकों ने करतल ध्वनि से सराहा।

आभार एवं समापन
अंत में विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री कैलाश जी ने सभी संतजनों, अतिथियों, अभिभावकों, ग्रामवासियों और आयोजन समिति को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा –

“आप सभी की उपस्थिति और सहयोग से यह आयोजन प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत बना है। यह विद्यालय आगे भी शिक्षा, सेवा और संस्कृति के मूल्यों को आत्मसात करता रहेगा।”

यह आयोजन शिक्षा, संस्कृति, संतवाणी, गुरु-गौरव और छात्र सम्मान के त्रिवेणी संगम का अनुपम उदाहरण बनकर इतिहास में अंकित हो गया।

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