भावनगर, 30 दिसंबर 2025 – पश्चिम रेलवे के भावनगर पैरागॉन वर्कशॉप की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। यहां लंबे समय से कोई स्थायी मुख्य कारखाना प्रबंधक (CWM) नियुक्त नहीं है, जिससे प्रशासनिक अराजकता का माहौल बना हुआ है। कार्यरत कर्मचारियों ने दो उप मुख्य कारखाना प्रबंधकों (Dy.CME) पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिन्हें वे पूरी तरह अक्षम और व्यक्तिगत हितों में लिप्त बता रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि इनमें से एक Dy.CME ठेकेदारों के साथ मिलीभगत में व्यस्त रहते हैं, जबकि हाल ही में नियुक्त दूसरे अधिकारी ने आते ही प्रशासनिक भवन में मौजूदा ऑफिस तोड़कर करीब 80 लाख रुपये खर्च कर नए लग्जरी ऑफिस बनवाए और मैचिंग फर्नीचर मंगवाया। कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकारियों का ध्यान काम पर नहीं, बल्कि अनावश्यक खर्च और व्यक्तिगत लाभ पर केंद्रित है। एक अधिकारी को तो ‘आर्ट गैलरी’ बनाने का शौक जोत रहा है, जबकि दूसरा नए ऑफिस की सजावट में डूबा हुआ है।

इस बीच, कर्मचारियों की छोटी-छोटी समस्याएं – जैसे सामग्री की कमी और बुनियादी सुविधाओं की कमी – अनदेखी की जा रही हैं। वर्कशॉप में आउट टर्न बढ़ाने का दबाव तो है, लेकिन बिना उचित इंस्पेक्शन और सामग्री उपलब्धता के जल्दबाजी में काम करवाया जा रहा है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है।
सबसे गंभीर आरोप धमकियों का है। 22 जनवरी को होने वाले जीएम इंस्पेक्शन को लेकर कर्मचारियों और सुपरवाइजरों पर भारी दबाव डाला जा रहा है। अधिकारियों की ओर से खुली धमकी दी जा रही है कि इंस्पेक्शन में कोई गड़बड़ी हुई तो मेजर पेनल्टी और SF-5 चार्जशीट थमा दी जाएगी। कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारी खुद कभी वर्कशॉप का दौरा नहीं करते, समस्याएं नहीं सुनते, लेकिन धमकियां देते रहते हैं। अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर सुपरवाइजरों को केबिन में बुलाकर डराया-धमकाया जाता है। कोई नियम की बात करे या शिकायत करे तो तुरंत सस्पेंड करने की धमकी मिलती है।
इस माहौल से पूरा वर्कशॉप भय के साए में है। हर कर्मचारी और सुपरवाइजर डरा हुआ है, क्योंकि जीएम इंस्पेक्शन तक कितनों को परेशान किया जाएगा या सस्पेंड किया जाएगा, यह अनिश्चित है। कर्मचारियों ने रेलवे प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि वर्कशॉप में स्थायी प्रबंधन बहाल हो और कर्मचारियों का मनोबल टूटने से बचा जा सके।
यह मामला रेलवे की कार्य संस्कृति और कर्मचारी कल्याण पर बड़े सवाल खड़े करता है। क्या जीएम इंस्पेक्शन से पहले प्रशासन सुधरेगा, या हालात और बिगड़ेंगे? यह देखने वाली बात होगी।
रिपोर्ट :सुरेंद्र कुमार

