दिल्ली, 13 दिसंबर 2025: पूर्वी दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। 29 नवंबर की रात, एक बारात में उड़ाए जा रहे नकली नोटों को उठाते हुए 14 साल के मासूम साहिल अंसारी को CISF के हेड कांस्टेबल मदन गोपाल तिवारी ने कथित तौर पर गुस्से में गोली मार दी। साहिल की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद से मृतक का परिवार न्याय की आस लगाए बैठा है, लेकिन उनका दर्द और इंतजार कम होने का नाम नहीं ले रहा।
परिवार का छलकता दर्द: ‘रात को नींद नहीं आती, लगता है साहिल आएगा’

साहिल की मां 42 वर्षीय निशा अंसारी का कहना है, “रात के नौ बजते ही ऐसा लगता है जैसे दरवाजे पर साहिल खड़ा हो… कह रहा हो, ‘अम्मी, गेट खोलो… मैं आ गया।’ हम जानते हैं कि अब वो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन दिल को तसल्ली रहती है कि वो आएगा। उसके इंतजार में रात एक बजे तक नींद नहीं आती।”
यह पहली बार नहीं है जब निशा ने अपनी संतान को खोया है। पिछले पांच सालों में वह दो बेटों को खो चुकी हैं। 2020 में एक जानलेवा बीमारी ने उनके 18 साल के बड़े बेटे को छीन लिया था। अब साहिल की मौत ने परिवार को दोबारा तोड़ दिया। निशा कहती हैं, “मेरा बेटा एक चींटी भी नहीं मार सकता था। पड़ोसी बताएंगे – वो कभी झगड़ा नहीं करता, गाली तक नहीं देता। हमेशा चुप रहता, लोग सोचते गूंगा है। उसका ध्यान सिर्फ घर चलाने पर था – पापा की दवा लाऊं, खर्चा निकालूं।”
पिता सिराजुद्दीन अंसारी, जो दिहाड़ी मजदूर हैं और छह महीने पहले लकवे से ग्रस्त हो गए, बताते हैं, “रात करीब नौ बजे छोटा बेटा साजिम और दो लड़के रोते हुए आए – ‘पापा, साहिल को गोली मार दी!’ मैंने मजाक समझा, लेकिन वे रोते रहे। मेरी तबीयत खराब है, इसलिए धीरे चलकर मां गईं। कम्युनिटी हॉल के पास साहिल जमीन पर गिरा मिला, मर चुका था।”
परिवार का आरोप है कि साहिल घर लौट रहा था, जब उसकी नजर बारात में नोट उड़ाते तिवारी पर पड़ी। वो नोट उठाने लगा तो तिवारी भड़क गए, पहले पीटा और फिर गोली मार दी। निशा कहती हैं, “बारात में पैसे लुटाए जाते हैं लूटने के लिए ही न! वो नकली थे, फिर भी गोली चला दी। ऐसे इंसान को जीने का हक नहीं। सरकार बंदूक इसलिए देती है क्या? बॉर्डर पर चलाते, आतंकवादी पर चलाते – मासूम बच्चे ने क्या बिगाड़ा था?”

मां आगे कहती हैं, “उसे देखकर बेहोश हो गई। पड़ोसी ने उठाया। भीड़ थी, लेकिन किसी ने अस्पताल नहीं ले जाया। हेडगेवार अस्पताल पहुंचे तो वो मर चुका था।” परिवार झारखंड के गोड्डा से दिल्ली आया है और एक छोटे से 4×4 फुट के कमरे में रहता है। साहिल ने ही घर की जिम्मेदारी संभाली थी।
आरोपी का दावा: ‘गोली गलती से चली’
CISF हेड कांस्टेबल मदन गोपाल तिवारी का परिवार इटावा में रहता है। उनके भाई सोनू कहते हैं, “भाई ने जानबूझकर गोली नहीं चलाई। बारात में भीड़ थी, पिस्टल लोडेड थी – गलती से चली। नशे की बात झूठ है, वो कभी शराब नहीं छूता। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।” तिवारी की पत्नी और दो बच्चे हैं, पोस्टिंग कानपुर में थी।
पुलिस जांच और कार्रवाई

शाहदरा डीसीपी प्रशांत गौतम बताते हैं, “अभियुक्त मौके से फरार हो गया। टीम ने CCTV और पूछताछ से 30 नवंबर को इटावा से गिरफ्तार किया। पूछताछ में गोली चलाने की बात कबूली – गुस्से में बच्चों पर फायर किया। .32 बोर लाइसेंसी पिस्टौल बरामद।”
CISF ने कहा, “अवकाश में घटना है, इसलिए बयान नहीं देंगे।” लेकिन नियमों के मुताबिक, 48 घंटे से ज्यादा हिरासत पर सस्पेंशन हो सकता है। मामला कोर्ट में है।
पीड़ित परिवार सिर्फ न्याय चाहता है। निशा कहती हैं, “हम गरीब हैं, इंसाफ चाहिए। बच्चे के लिए न्याय मिले।” यह घटना हथियारों के दुरुपयोग और गरीबी पर सवाल उठा रही है। क्या दोषी को फांसी या उम्रकैद मिलेगी? जांच जारी है।
रिपोर्ट :सुरेंद्र कुमार

