लेखिका संघ बरेली के तत्वाधान में होटल नमस्ते बरेली में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन

बरेली

दिनांक 26 मार्च को लेखिका संघ बरेली के तत्वाधान में होटल नमस्ते बरेली में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता लेखिका संघ की संरक्षक निर्मला सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार कमल सक्सेना रहे। काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ संस्था की अध्यक्ष दीप्ती पांडे नूतन ने माँ शारदे की वंदना से किया। संरक्षक निर्मला सिंह ने अपनी ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा कि,,,
शाम होते ही मेंरे हालात बदल जाते हैँ। पलकों पर सितारे से बदल जाते हैँ।
वरिष्ठ गीतकार कमल सक्सेना ने श्रृंगार का मुक्तक कुछ इस तरह से पढ़ा,,,
मुझको मिले हैँ दर्द ना इसका मलाल कर।
रखता हूँ अपने दर्द मैं दिल में संभाल कर।
जिनको है अपने प्यार पर यक़ीन ए कमल।
करते नहीँ हैँ फैंसले सिक्का उछाल कर।
संस्था अध्यक्ष दीप्ती पांडे नूतन ने अपनी कविता कुछ इस तरह से पढ़ी,,
अंतरिक्ष से जो उतरी वह भारत की नारी है।
सुनीता विलियम स्वागत आपका विश्व बड़ा आभारी है।
है नूतन सन्देश सभी युवा आबादी से माता पिता का सम्मान बढ़ाओ दूर रहो व्यभिचारों से।
उपाध्यक्ष अल्पना नारायण ने कहा,,,
ज़ख्म भले ही कैसा भी हो हम जख्मों को सीते हैँ।
उपाध्याय चित्रा जौहरी ने होली पर मनमोहक गीत सुनाया।
सचिव किरण कैथवाल ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा कि,,
आई बसंत ऋतु मतवाली। लेकर नये नये पत्ते औऱ फूल महकी हर डाली डाली।
किरण प्रजापति ने कहा कि,,,
यदि स्त्री पर डाली कुदृष्टि तो यह परिणाम जरूरी है,
उसको रावण के जैसा ही युगों–युगों तक जलना होगा।
मोना प्रधान ने होली पर बहुत सुंदर गीत सुनाया।
, मीना अग्रवाल ने ग़ज़ल इस तरह से पढ़ी,,,
तुझसे बिछुड़कर हम रोये नहीँ थे।
ये अलग बात है कई दिन सोये नहीँ थे।
सुशीला धस्माना मुस्कान ने कहा कि,,, सुनो हे श्याम आ जाना।
ज़रा. मुखड़ा अपना दिखा जाना।
अविनाश अग्रवाल ने अपनी ग़ज़ल इस तरह से पढ़ी,,,
देता है रब खाते हैँ सब। फिर काहे को चीखो मज़हब मज़हब।
सीमा सक्सेना असीम ने कहा कि,,,
है दोस्ती गर दोस्तों से तो मिलते जुलते रहा करो
मुद्दतों के बाद मिलना मुझे अच्छा नहीं लगता!
काव्य गोष्ठी का संचालन उपाध्यक्ष अल्पना नारायण ने बड़ी खूबसूरती से किया। काव्य गोष्ठी की संयोजक चित्रा जौहरी ने सभी का आभार व्यक्त किया औऱ सबको भोजन के लिये निमंत्रित किया। सभी कवियों औऱ कवयितत्रियों ने चित्रा जौहरी को स्वादिष्ट भोजन के लिये धन्यवाद दिया।
🌎 कमल सक्सेना कवि गीतकार बरेली 🌎

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!