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कर्नाटक में ”सरकार संकट पखवाड़ा” 18 जुलाई को खत्म हो जाएगा. क्योंकि इस दिन यहां एचडी कुमारस्वामी सरकार विश्वास मत के लिए वोटिंग कराएगी. कांग्रेस-जेडीएस नर्वस हैं कि संख्या ठीक बैठेगी कि नहीं. भाजपा राह देख रही है कि सरकार अब गिरी कि तब गिरी. इसी सब के बीच इस मामले में भाजपा को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. चक्कर ये था कि कर्नाटक स्पीकर के आर रमेश कुमार (जो खुद कांग्रेस से आते हैं) ने बागी विधायकों में से सिर्फ पांच के इस्तीफे मंज़ूर किए थे. बाकी को यह कहकर लौटाया था कि सही फॉर्मेट में दीजिए, तभी विचार किया जाएगा. जिनके इस्तीफे मंज़ूर नहीं हुए थे, वो विधायक सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. और विधायकों के पीछे-पीछे स्पीकर भी कोर्ट चले गए थे. वहां कुछ दिन सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा यथास्थिति बनाए रखिए. आज अदालत ने फैसला सुना दिया है.
कोर्ट का पूरा फैसला सार्वजनिक होने में अभी कुछ समय है. लेकिन फैसले की प्रमुख बातें हम आपको यहां बता रहे हैं –
>> कोर्ट ने कहा है कि बागी विधायकों पर फैसला लेने का अधिकार स्पीकर को ही है, तो उन्हीं का निर्णय अंतिम होगा;
>> पहले स्पीकर इस्तीफों पर फैसला लें, उसके बाद शक्ति परीक्षण हो, स्पीकर अपना निर्णय कोर्ट को बताएं;
>> बागी विधायक ये तय करें कि वो शक्ति परीक्षण के लिए आना चाहते हैं कि नहीं, उनपर व्हिप लागू नहीं होगा;फैसले पर स्पीकर ने कह दिया है कि वो संविधान के मुताबिक अपना काम करेंगे. कोर्ट ने अपने फैसले में ”संवैधानिक संतुलन” की बात की है. तो इसके असर में भी एक संतुलन है. इसने समान रूप से दोनों पक्षों को खुश या दुखी किया है. इस्तीफा देने के इच्छुक (और भाजपा के पाले में जाने के भी) विधायकों पर एक ऐसा स्पीकर फैसला करने वाला है जो कांग्रेस से आया है. लेकिन अब विधायक भी कोड़े (व्हिप) के दम पर हाके नहीं जा सकेंगे. तो व्हिप उल्लंघन के बहाने से उन्हें बर्खास्त भी नहीं किया जा सकेगा.
इस्तीफों पर फैसला और उसका शक्ति परीक्षण पर नतीजा कल सामने आएगा. लेकिन हम आपको सामान्य गणित के आधार पर बताने की कोशिश करेंगे कि क्या हो सकता है.
1. पहली सूरत – स्पीकर इस्तीफे मंज़ूर कर लें
कुमारस्वामी सरकार गिर जाएगी. हो सकता है कि कुमारस्वामी ऐसी सूरत में शक्ति परीक्षण से पहले ही हार मान लें. क्योंकि सभी इस्तीफे मंज़ूर होने पर कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 से गिरकर 105 पर आ जाएगा. लेकिन कांग्रेस-जेडीएस के पास बचेंगे 100 ही विधायक. दूसरी तरफ भाजपा के पास अपने 105 विधायक हैं और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी. तो भाजपा सरकार बना लेगी.
2. दूसरी सूरत – स्पीकर इस्तीफे मंज़ूर न करते हुए विधायकों को बर्खास्त करें
स्पीकर के आर रमेश कुमार कोर्ट में कह चुके हैं कि जिन विधायकों के इस्तीफों पर फैसला नहीं हुआ है, वो बर्खास्त भी हो सकते हैं. स्पीकर ये तय करना चाहते हैं कि इस्तीफों के लिए किसी तरह का बाहरी दबाव तो नहीं था. नियम ये है कि पर्याप्त कारण पाने पर स्पीकर अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए विधायकों को बर्खासत कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ, तब भी शक्ति परीक्षण से पहले बहुमत का आंकड़ा 105 पर आएगा ही और कांग्रेस जेडीएस के पास 100 ही विधायक बचेंगे. कुमारस्वामी की सरकार इस सूरत में भी गिरेगी ही.
बर्खास्तगी और इस्तीफों का मंज़ूर होना. दोनों सूरतों में विधायकों को मिलने वाले मंत्रीपद को बचाने के लिए दोबारा चुनाव लड़ना होगा.
3. तीसरी सूरत – स्पीकर न इस्तीफे मंज़ूर करें न विधायकों को बर्खास्त करें
इस सूरत में कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 बना रहेगा और कांग्रेस जेडीएस के पास तकनीकी रूप से 111 विधायक रहेंगे. भाजपा का स्कोर रहेगा 107 (105+2). तब शक्ति परीक्षण का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि विधायक वोटिंग के लिए विधानसभा पहुंचते हैं कि नहीं. तो दो और सूरतें बनती हैं.
3.अ – विधायक होटल का आनंद लें, विधानसभा न आएं
कुमारस्वामी सरकार गिर जाएगी. पीरियड.
3.ब – विधायक स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा बनें, विधानसभा आएं
विधायकों के विधानसभा आने पर फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि वो उपस्थित रहकर वोट डालते हैं कि नहीं. तो यहां दो सूरतें और बनेंगी –
3. ब. (अ) – सभी 11 विधायक वोट डालें
बहुमत का आंकड़ा रहेगा 113. सुप्रीम कोर्ट ने व्हिप की हवा निकाल दी है. तो विधायक अपनी अंतर्रात्मा की आवाज़ बिना डर सुन पाएंगे. अगर सभी विधायकों की घर वापसी हो जाए तब भी कांग्रेस-जेडीएस बहुमत से दो विधायक दूर रहेंगे. सभी विधायक अगर भाजपा को वोट देते हैं तो कुमारस्वामी की विदाई हो जाएगी. भाजपा विधायकों को लेकर राजभवन जा पाएगी और सरकार बनाने का दावा ठोंक सकेगी.
3. ब. (ब) – सभी 11 विधायक उपस्थित रहें लेकिन वोट न डालें
11 में से एक भी विधायक ने वोट न डाला तो कुमारस्वामी के लिए विश्वास मत हासिल करने की आखिरी संभावनाओं पर पानी पड़ जाएगा.
क्या किसी भी स्थिति में कुमारस्वामी की सरकार बच सकती है?
कांग्रेस-जेडीएस चाहेंगे कि सभी 11 विधायकों की अंतर्रात्मा डीके शिवकुमार की आकाशवाणी को सुन ले. क्योंकि मंत्रीपद तो उन्होंने भी ऑफर किया है. कांग्रेस-जेडीएस इसके साथ-साथ दो और निर्दलीय (या भाजपा के ) विधायकों को भी डीके की आकाशवाणी सुनाना चाहेंगे. तब जाकर कुमारस्वामी सरकार बचेगी. खेला इस बात का भी होगा कि दोनों पक्ष इन 11 विधायकों से इतर कितने विधायकों को क्रॉस वोटिंग के लिए मना लेते हैं. कांग्रेस-जेडीएस को क्रॉस वोटिंग की ज़्यादा ज़रूरत है.
कुल जमा बात इतनी है कि अब कोई चमत्कार ही कुमारस्वामी सरकार को बचा सकता है. चमत्कार का नाम चमत्कार रखा ही इसलिए गया कि वो चमत्कार होता है. तो वो किसी के भी साथ हो सकता है. कांग्रेस जेडीएस भी. और भाजपा भी. तो सांस रोके रहिए.
Reported By:ADMIN
