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इस खबर में जिन दो लोगों का नाम है, वे अपने बात करने के तरीकों के लिए जाने जाते हैं. एक तरफ हैं अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. सांसद हैं. देश के गृहमंत्री हैं. उनके सामने हैं असदुद्दीन ओवैसी. ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन, छोटे में कहें तो AIMIM, के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद. दोनों ही बेबाक. अपने-अपने राजनीतिक एजेंडे को लेकर मुखर. और आज संसद में दोनों एक दूसरे से उलझ गए. अब ये बहस चर्चा का मुद्दा बनी हुई है.
हुआ क्या था?
लोकसभा में ताज़ातरीन NIA बिल पर बहस हो रही थी. भाजपा इस बिल पर बहुत दिनों से मेहनत कर रही थी. इस बिल की ख़ास बात ये है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी National Investigation Agency अब कई मामलों में भारत के बाहर भी जाकर जांच कर सकती है. साथ ही साथ किसी संदिग्ध को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है. पहले ऐसा नहीं था, जांच होती थी. आरोप सिद्ध होते थे, तभी ऐसा होता था. अब ऐसा नहीं करने की योजना है. ये तो हमने आपको पहले ही बता दिया था.
संसद में आज इस पर बहस हो रही थी. बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह इस मामले पर संसद में बोल रहे थे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सत्यपाल सिंह पुलिस अधिकारी रह चुके हैं. साथ ही साथ मुंबई के पुलिस कमिश्नर का पद उन्होंने लम्बे समय तक सम्हाला है.
बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं.
संसद में बोलते हुए सत्यपाल सिंह हैदराबाद का संदर्भ ले आए. वे मालेगांव की बात कर रहे थे. उन्होंने कहा,
“हम अगर मालेगांव की बात कर रहे हैं तो हमें हैदराबाद की भी बात करनी चाहिए. हैदराबाद मस्जिद धमाकों की जांच चल रही थी. वहां के मुख्यमंत्री ने देखा कि उस मामले में अधिकतर संदिग्ध अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते थे, तो उन्होंने वहां के पुलिस कमिश्नर को बुलाकर कहा कि वे मामले की जांच की दिशा बदल दें, अन्यथा उनकी नौकरी चली जाएगी.”
ये बात करते हुए सत्यपाल सिंह ने कहा कि जब ये मामला उनको पता चला तब वे मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे. जैसे ही सत्यपाल सिंह ने बात रखी, सदन में ‘शेम-शेम’ कहा जाने लगा. इसी समय ओवैसी उठ खड़े हुए और उन्होंने कहा,
“भाजपा सदस्य जिस निजी बातचीत की बात कर रहे हैं और जिस नेता की बात कर रहे हैं, वे इस समय यहां मौजूद नहीं हैं. क्या भाजपा सदस्य इसके सबूत संसद में रख सकते हैं?”
ओवैसी ने अमित शाह को कहा, “डराइये मत!”
और यहीं से अमित शाह और असदुद्दीन ओवैसी में खींचतान शुरू हुई. अमित शाह अपनी सीट पर खड़े हो गए. उन्होंने ओवैसी से कहा,
“ओवैसी साहब और सबका सेकुलरिज्म एकदम उभरकर सामने आया है. जब राजा साहब बोल रहे थे, तो वो लोग क्यों नहीं खड़े हुए. उन्होंने कई बातें रूल्स के खिलाफ़ कीं. हम आराम से सुनते रहे. सुनने की भी आदत डालिए, ओवैसी साहब! इस तरह से नहीं चलेगा…सुनना पडेगा.”
अमित शाह की भंगिमा गुस्से से भरी हुई थी. उंगली दिखाकर बात कर रहे थे. इसके बाद भाजपा सांसद समर्थन में सीटें थपथपाने लगे.
अमित शाह भी फायर हो गए.
इसके बाद ओवैसी को गुस्सा आया. उन्होंने अमित शाह से कहा कि वे उन्हें ऊंगली न दिखाएं और ये भी कि उन्हें डराया नहीं जा सकता है. इस पर अमित शाह फिर से खड़े हुए. उन्होंने कहा कि वे ओवैसी को डराने की कोशिश नहीं कर रहे थे.
उन्होंने कहा,
“विपक्षियों के अंदर दूसरों की बातें सुनने का सब्र होना चाहिए. अगर आपके मन में ही डर है तो मैं क्या कर सकता हूं?”
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