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माइकल डगलस ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रहते हैं. बेघर हैं. रहने को कोई घर नहीं. लेकिन ये बीती बात है. उन्हें अपना घर मिले, इसके लिए ऑस्ट्रेलिया में ढेर सारे लोग पैसा जमा कर रहे हैं. अब तक 76 लाख से ज्यादा की रकम जमा हो चुकी है. आप पूछेंगे कि माइकल में ऐसी क्या खासियत है कि लोग उनकी मदद करने को इतने बेताब हुए जा रहे हैं. जवाब जानने के लिए आपको 9 नवंबर की एक घटना जाननी होगी.
अपनी जान दांव पर लगाकर दूसरे की जान बचाई
जब अटैक हुआ, तब माइकल वहीं पास में बैठकर सिगरेट रोल कर रहे थे. उनके पास एक कार आकर रुकी. फिर उन्होंने लोगों का चीखना-चिल्लाना सुना. फिर देखा, लोग भाग रहे हैं. तब जाकर माइकल को समझ आया कि कुछ गंभीर हो रहा है. फिर उन्हें नजर आया हमलावर हसन खलीफ अली. इस वक्त तक हसन एक कैफे मालिक की चाकू मारकर हत्या कर चुका था. उसने दो लोगों को घायल भी कर दिया था. अब वो वहां मौजूद दो पुलिस अधिकारियों पर अटैक कर रहा था. उनमें से एक अफसर को ट्रेनिंग पूरी करके फोर्स जॉइन किए बस तीन महीने ही हुए थे. माइकल ने ये देखा और मदद के लिए आ गए. उन्हें वहीं पास में रखी एक ट्रॉली दिखी. उसी से उन्होंने धक्का दिया हमलावर को. ताकि वो रुक जाए और हमला न कर पाए.माइकल जब ऐसा कर रहे थे, तब उनसे कुछ ही मीटर की दूरी पर एक कार धू-धू कर जल रही थी. कार में आग हसन ने ही लगाई थी. उस कार के अंदर गैस सिलेंडर भरे थे. मतलब किसी भी वक्त वहां जबर्दस्त ब्लास्ट हो सकता था. माइकल की जान भी जा सकती थी. मगर उन्होंने अपनी परवाह नहीं की. हसन को रोकने की कोशिश कर रहे माइकल का ये वीडियो वायरल हो गया. शुरू में लोगों को माइकल की पहचान मालूम नहीं थी. तो सब उन्हें ‘ट्रॉली मैन’ कहने लगे. सोशल मीडिया पर ‘ट्रॉली मैन’ की खूब वाहवाही होने लगी. लोगों ने कहा, ये इंसान असली हीरो है.
ये है वो पेज, जहां माइकल के लिए फंड जमा करने की मुहिम चल रही है. ऑस्ट्रेलिया के लोग सोशल मीडिया पर थैंक्यु ट्रॉलीमैन हैशटैग चला रहे हैं.
माइकल के लिए मदद जमा करने वाली अपील भी वायरल हो गई
एक रिपोर्टर ने माइकल को खोज निकाला. फिर माइकल से जुड़ी बातें भी सामने आने लगीं. मसलन ये कि वो बेघर हैं. एक फंड रेज़िंग पेज है- जोफंडमी (GoFundMe). ये पेज मेलबर्न होमलेस कलेक्टिव नाम की एक संस्था का है. ये संस्था मेलबर्न में रहने वाले बेघर लोगों की मदद करती है. यहां माइकल के घर के लिए फंड जमा करने की मुहिम शुरू हुई. ये अपील भी वायरल हो गई. लोग बढ़-चढ़कर माइकल के लिए पैसे जमा करने लगे.‘अच्छा करोगे, अच्छा मिलेगा’
ये जो हमला था, इसे वहां की पुलिस आतंकवाद से जुड़ी घटना बता रही है. हसन सामान्य हमलावर हो कि आतंकवादी, उसके इरादे खतरनाक तो थे ही. माइकल ने अपनी परवाह न करते हुए उसे रोकने की कोशिश की. किसी की जान बचाई. ये वाकई हीरो का ही काम है. उनके साथ अब जो अच्छा-अच्छा हो रहा है, यकीनन वो उसके हकदार हैं. माइकल की कहानी एक और वजह से प्रेरणा देती है. वो चोरी करने के जुर्म में पांच साल जेल की सजा काट चुके हैं. उन्हें ड्रग्स की भी लत थी. कई बार जेल आना-जाना हुआ. ऐसे क्रिमिनल अतीत के बाद इतना अच्छा काम करके माइकल को बहुत खुशी हो रही है. उन्हें बस एक बात का अफसोस है. वो अपना दादी से बहुत प्यार करते थे. जब तक दादी जिंदा थीं, तब तक माइकल ने उन्हें कुछ अच्छा करके नहीं दिखाया. उन्हें दुख है कि आज जब हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है, तब ये देखने के लिए दादी इस दुनिया में नहीं हैं. माइकल को लगता है कि अगर दादी आज जिंदा होतीं, तो उनपर बहुत गर्व करतीं.
Reported By:Admin
